आस-पास कुछ अहसासों
की बात-चीत होती देखी है
दूर किनारे
,साँझ-सकारे पंछी की टोली देखी है
खोज-खबर रखने वालो की ये कैसी हालत देखी है
मुह में राम बगल में छूरी कैसी फरमाईस देखी है ||
भोले-भाले चेहरे है पर ,दिल में छुपी नफरत देखी है
ऊच-नीच और जात-पात की खिची हुयी सरहद देखी है
राह गुजरते यूँही चलते बात बड़ी रोचक देखी है
तू-तू में-में करने की हाय गजब फितरत देखी है ||