कभी चर्चा चला पहरों ,कहीं महफ़िल ग़ज़ल होगी
मेरे हिबड़े की हसरत कल तेरे अहले नजर होगी
में फरमाऊ बता क्या? मेरे दिल की सुन सके कोई
मुझे जिस बात का था इल्म ,बाते वो असर होगी
सुना है.... दूर बस्ती में सहर होती है इठलाकर
जो गुजरूँ उस गली हमपर भी थोड़ी तो फ़जल होगी
बस अब थोड़ी सी जुम्बिस रह गई, वो याद आता है
क़ज़ा होने से पहले ज़िन्दगी यूँ ही बसर होगी
कहाँ इमान "कौशल" लुट गया बैरम ज़माने का
यही बतलाएं अपना कुछ न बस, अंजामे-सजर होगी
__________~कौशल~____________
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मायने :::::::::::::::::::
हिबडा: दिल ,ह्रदय ,
फ़जल : कृपा ,,
जुम्बिस : जुडाव ,,
क़ज़ा : बरबाद,,
सजर : कब्र ,ताबूत
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