कभी ये पल कभी बीता फशाना याद आता है
यही दो पल कि दुनिया में रुलाता है हँसाता है
यादों के भरे जाम रहें जीने के लिए याद
खाली रखने पे पैमाना अक्सर फूट जाता है
चाहने वाले जिंदगी में साथ हों हरदम
दूरियों से कभी इजहारे-रिश्ता टूट जाता है
आलम ये है बातो ही बातो में कहीं अक्सर
कभी अबका कभी गुजरा ज़माना रूठ जाता है
कई सदी से रहा है यही अंदाज दुनिया का
नया मिलने पे अक्सर ही पुराना छूट जाता है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें