शनिवार, 5 जनवरी 2013

नया मिलने पे अक्सर ही पुराना छूट जाता है


कभी ये पल कभी बीता फशाना याद आता है
यही दो पल कि दुनिया में रुलाता है हँसाता है

यादों के भरे जाम रहें जीने के लिए याद
खाली रखने पे पैमाना अक्सर फूट जाता है

चाहने वाले जिंदगी में साथ हों हरदम
दूरियों से कभी इजहारे-रिश्ता टूट जाता है

आलम ये है बातो ही बातो में कहीं अक्सर
कभी अबका कभी गुजरा ज़माना रूठ जाता है

कई सदी से रहा है यही अंदाज दुनिया का
नया मिलने पे अक्सर ही पुराना छूट जाता है

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