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वो भीगे पल
वो बरसात अब
भी याद रही
सफ़र में जब
से चले साथ
यही बात रही
वही सम्हालने खोने में
ज़िन्दगी यूँ कटी
कुछ भीगे ख्वाब
रहे कुछ ये
मुलाकात रही
चिराग सामने रक्खा की
रात ढल जाये
उसी में डूबके
अह्सासे -वफ़ा साथ
रही
कि जब से
कोई फिकर मुझको
न रही "कौशल"
खफा-खफा सी
पूरी तारीके-कायनात
रही
__________~कौशल~______________
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