यूँही जान होगी यूँ पहचान होगी
कभी न कभी तो मेहरबान होगी
वो किस्मत जो रहती है रूठी सी हमसे
कभी तो नाचीज-ए-मेहमान होगी
तेरे दिल में शबनम मेरे दिल में कांटे
बता किस तरह से यूँ पहचान होगी ...
कभी न कभी तो मेहरबान होगी
वो किस्मत जो रहती है रूठी सी हमसे
कभी तो नाचीज-ए-मेहमान होगी
तेरे दिल में शबनम मेरे दिल में कांटे
बता किस तरह से यूँ पहचान होगी ...
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