जुबां खुली तो बस उसका ही एक नाम आये
हाथ में जब भी मेरे उसका ये रुमाल आये
अदाये है या है फलक पे आतिश-ऐ-बिजली
पलक गिरे जो कभी,उसका ही ख़याल आये
जुड़ा है नाम मेरा उसकी बंदगी के लिए
इंतज़ार में उसके दिन ढले कि शाम आये
जिधर उठाऊं नजर बस वही मुकम्मल हो
ख़त का जवाब मेरे ,,शायद इस साल आये
तामाम बाते ......ये मेरी हैं आदतें "कौशल"
बस इंतज़ार में हूँ वो आयें या उनका हाल आये
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