क्या-क्या खोया सुकून पाने को
देर तक रोना पड़ा गम को भूल जाने को __
जब सफ़र में चले उजाले थे
शाम घिर आयी लौट आने को __
जान ले लेगी आज तन्हाई
कल तमाशा हुआ मानाने को __
बात कुछ ऐसी सुन ली हमने
जामे महफ़िल गए भुलाने को __
फिर सुकून दिल को रह सके कैसे
उसने दिल तोडा आजमाने को __
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