कर के भी जतन रात दिन कुछ हाथ न आया
मेहनत का नतीज़ा मेहनत नहीं पाया
भूके ही सो गया वो बस पानी के सहारे
उसकी खबर को कोई फरिस्ता नहीं आया ||
कुछ था ही नहीं पास जो कुछ उसने गवाया
मिट्टी का खिलौना था मिट्टी में ही आया
कुछ प्यार मोहोबत को बेताब रहा दिल
कुछ पा लिया तो खो दिया कुछ आज कमाया ||
-(कौशल 10-dec-2011)