शनिवार, 28 जनवरी 2012

चलते चलते


बेवक्त ही चलने की आदत डालिए
ये शहरे तमाशा है सभी गौर करेंगे.....
किस बात पे मचल रहे ये ख्वाब रोकिये
मरघट पे खड़े हो के सभी बात करेंगे.....
कश्ती जो फंसी हो भवर में तो हो हैरान
डुबोने वाले सक्श तुझे अपने मिलेंगे.....
जब रात ढली हो तो सूरज क्या उगेगा
वो कुछ ख्याल ऐसे ही बेकार रहेंगे...... 
खुशियों में ही जी लो अपने रंग मिजाज
गम में बहाने के लिए आंसू ही मिलेंगे...
जब भी बहारें  आएँगी, भवरे भी आयेंगे 
बाकी समय ख्वाबो में ,यादों में मिलेंगे.....  :( कौशल :२८-०१-२०१२ )

सोमवार, 23 जनवरी 2012

मदहोशी >>>

जुल्फे देख कर ही बस आराम आ गया
शाम होते हाथो में फिर जाम आ गया||१||

मैकदे की बात बड़ी दिलनसी लगे
आठो पहर जुबान में वही नाम आ गया ||२||

पीने की बंदगी हमें मंजूर हो गयी
प्यासे से इन लबो में आज जाम आ गया ||३||

खुल के सुनायी दी वही बाते वो पेरहम
हमको भी याद एक वोही नाम आ गया ||४||

जब से है खोया होश यूहीं मयकदे में बैठ
जामो से झाकता हसीं दिलदार आ गया ||५||

पीता गया गरज से की यार साथ है मेरा
उसका ही अहतराम तो पीना सिखा गया ||६||

लड़खड़ाते कदम, तिस्नगी सी रात का आलम
जाते हुए अजब सा मज़ा आज छा गया ||७||

फिर पी लिया की जी लिया दो दिन का कारवां
दबा हुआ ख़याल कोई दिल पे छा गया ||८||
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-(कौशल)

सोमवार, 2 जनवरी 2012

नव वर्ष


नव युग की नव चेतना की
नव उज्वलता नव सवेरा
नव दिशाएं नव उजाला
नव करो की बाह खोले
तितलियों के पाख की सी
नव किरण नव ज्योति निर्झर
नव पगों की बात जोहे
कामयाबी हो खड़ी अब
नव विचारो से भरी हो
मनुज की बी दृग निरंतर
आज इस कामना में
नव वर्ष  का करते ही स्वागत    -(कौशल : --२००४ )