शुक्रवार, 22 जून 2012

गज़ल


कौन कहता है कोई जोर नहीं
दिल ये शायाँ* कोई कमजोर नहीं

कोई बतलाता है अपनी,कोई कहता अपनी
सबा* किसकी है कोई ठौर नहीं

अह्बाबे-गम* से मुखालिफ हुए तो क्या अच्छा
मरासिम* न रहा अब है कोई और नहीं

कहाँ ख़ाबीदा* हुए रात की ढलती रो पर
मसाफत* से तो अच्छा है गमे-दौर नहीं  

कौन समझेगा दिले-टेसू कौशल
रेजदे* है ये मेरे कोई अना-दोर* नहीं
________~कौशल~__________

मायने
शायाँ = लायक,,,सबा = हवा,,,अह्बाबे-गम = दोस्ती का गम
मरासिम= रिश्ते,,,,ख़ाबीदा = सोया हुआ, सुप्त, निद्रित
मसाफ़त = distance, दूरीफ़ासला,,, रेजदे= लिखना, काव्य पाठ,,, अना-दोर= घमंडी वाक्य


गुरुवार, 14 जून 2012

बातें असर होगी..

कभी चर्चा चला पहरों ,कहीं महफ़िल ग़ज़ल होगी
मेरे हिबड़े की हसरत कल तेरे अहले नजर होगी  

में फरमाऊ बता क्या? मेरे दिल की सुन सके कोई 
मुझे जिस बात का था इल्म ,बाते वो असर होगी

सुना है.... दूर बस्ती में सहर होती है इठलाकर
जो गुजरूँ उस गली हमपर भी थोड़ी तो फ़जल होगी  

बस अब थोड़ी सी जुम्बिस रह गई, वो याद आता है
क़ज़ा होने से पहले ज़िन्दगी यूँ ही बसर होगी

कहाँ इमान "कौशल" लुट गया बैरम ज़माने का
यही बतलाएं अपना कुछ न बस, अंजामे-सजर होगी 
__________~कौशल~____________
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मायने :::::::::::::::::::
हिबडा: दिल ,ह्रदय  ,
फ़जल : कृपा ,,
जुम्बिस : जुडाव ,,
क़ज़ा : बरबाद,,
सजर : कब्र ,ताबूत 

रविवार, 10 जून 2012

ग़ज़ल


मोहोबत का असर है ये कि कुछ खोया नहीं जाता
कभी दिनभर भटकता हूँ कभी सोया नहीं जाता

जहाँ में ढूढता था चेन ,शहरे-शोरगुल ही था
कभी महसूस होता कुछ ,कभी बोला नहीं जाता

जुबान खामोश है लेकिन समंदर बह रहा अन्दर
कभी लहरों में गुम जाऊं ,कभी खोया नहीं जाता

पुकारा जब निगाहों से तो हरदम बेकरारी थी
कभी जीभर निहारूं और कभी देखा नहीं जाता

लगी है चोट ऐसी, जिसका देखो क्या मजा कौशल
कभी हँसाना मुनासिब न, कभी रोया नहीं जाता
_________~कौशल ~_______________