शनिवार, 8 मार्च 2014

रात

अकसर धुप निकल आती है
रात बड़ी छोटी होती है
दूर सितारों के ढलते ही
परियों की बस्ती रोती है

चाँद अकेला बिखरे तारे
सब जगमग-जगमग होती है
सच्ची दुनिया से अच्छी तो
सपनो की बस्ती होती है

रविवार, 2 मार्च 2014

मुर्दा होना आसान नहीं

जीते जी
मुर्दा होना आसान नहीं
छोड़ने पड़ते है बहुत से ख्वाब
मारना पड़ता है अरमानो को
लंबी चादर ओढ़ सन्नाटे की
जज्बात, अल्फाज, हालात
सब कुछ मिटाने पड़ते हैं
क्यूंकि
जीते जी
मुर्दा होना आसान नहीं .....