ट्रिन ट्रिन ... डोरबेल कि उस कर्कस आवाज ने उसे नीद से जगा दिया था . घडी में टाइम देखा ये सुबह के ६ बजे थे और आज तो शनिवार है छुट्टी का दिन आज कौन सुबह सुबह परेशान करने आ गया |
यही सब बडबडाते हुए आँखें मलते उसने दरवाजा खोला तो देखा सामने १२,१३ साल कि एक छोटी बच्ची खड़ी है हाथ में एक थाली जिसपर एक भगोने में सरसों का तेल और कुछ सिक्के पड़े हैं , और थाली में माँ वैष्णव देवी दरवार कि फोटों |
बिना उस लड़की के कुछ बोले वो अपना पर्स लेने चला गया और १० रुपये उसकी थाली में रख कर दरवाजा बंद कर दिया ....
आखिर सुबह सुबह अपनी नीद खराब कर, भगवान और उस लड़की कि दशा पर बहस करके कौन मुसीबत मोल ले .....
यही सब बडबडाते हुए आँखें मलते उसने दरवाजा खोला तो देखा सामने १२,१३ साल कि एक छोटी बच्ची खड़ी है हाथ में एक थाली जिसपर एक भगोने में सरसों का तेल और कुछ सिक्के पड़े हैं , और थाली में माँ वैष्णव देवी दरवार कि फोटों |
बिना उस लड़की के कुछ बोले वो अपना पर्स लेने चला गया और १० रुपये उसकी थाली में रख कर दरवाजा बंद कर दिया ....
आखिर सुबह सुबह अपनी नीद खराब कर, भगवान और उस लड़की कि दशा पर बहस करके कौन मुसीबत मोल ले .....