रविवार, 26 जनवरी 2014

बता किस तरह से यूँ पहचान होगी

यूँही जान होगी यूँ पहचान होगी
कभी न कभी तो मेहरबान होगी

वो किस्मत जो रहती है रूठी सी हमसे
कभी तो नाचीज-ए-मेहमान होगी

तेरे दिल में शबनम मेरे दिल में कांटे
बता किस तरह से यूँ पहचान होगी ...

बुधवार, 8 जनवरी 2014

क्या-क्या खोया सुकून पाने को

क्या-क्या खोया सुकून पाने को
देर तक रोना पड़ा गम को भूल जाने को __

जब सफ़र में चले उजाले थे
शाम घिर आयी लौट आने को __

जान ले लेगी आज तन्हाई
कल तमाशा हुआ मानाने को __

बात कुछ ऐसी सुन ली हमने
जामे महफ़िल गए भुलाने को __

फिर सुकून दिल को रह सके कैसे
उसने दिल तोडा आजमाने को __

शनिवार, 4 जनवरी 2014

किसी से पूछते जब भाव है इस चीज का कैसा

किसी से पूछते जब भाव है इस चीज का कैसा
बढ़ाये मोल तारीखे, फकत अंदाज है कैसा

कसक कैसी, फजल कैसा, गनीमत सर तो जिंदा है
यही अब जिक्र है ताज़ा भला अंजाम है कैसा

हमी को लुटते हम से ही अपना घर चलते हैं
पड़ेगी जब जरूरते-जान,मुसाहिद नाम है कैसा

कभी अपना बसेरा गर ना लुट जाये तो फिर कहना
हर एक बात पर लुटता चमन सरकार है कैसा

परेशाँ हो के बैठा गर ना बैठूँगा तो क्या होगा
कि "कौशल" बात है इतनी परेशाँ यार है कैसा

जुबां खुली तो बस उसका ही एक नाम आये

जुबां खुली तो बस उसका ही एक नाम आये
हाथ में जब भी मेरे उसका ये रुमाल आये

अदाये है या है फलक पे आतिश--बिजली
पलक गिरे जो कभी,उसका ही ख़याल आये

जुड़ा है नाम मेरा उसकी बंदगी के लिए
इंतज़ार में उसके दिन ढले कि शाम आये

जिधर उठाऊं नजर बस वही मुकम्मल हो
ख़त का जवाब मेरे ,,शायद इस साल आये

तामाम बाते ......ये मेरी हैं आदतें "कौशल
बस इंतज़ार में हूँ वो आयें या उनका हाल आये

जल के वीराने में कुछ देर, राख हो जाते

जल के वीराने में कुछ देर, राख हो जाते
ख्वाब ऐसे ही घरोंदों से गुजरते जाते__

ख्वाब इन आखो के बेरम हैं बड़े
साथ चलते हैं कुछ दूर फिर मुड़ते जाते__

पैर दर पैर सिमटके चली है तन्हाई
जिस्त से पर्दा किये लोग बदलते जाते__