सोमवार, 1 दिसंबर 2014

याद रहेगी

याद रहेगी
मन के बिखरावों
कि सीमा
जलते बुझते ख़्वाबों
कि चोखट याद रहेगी
याद रहेगी
इस धरती से
उस अम्बर तक
उम्मीदों के बनने मिटने
कि अनबन याद रहेगी
याद रहेगी
दिन कि वो ख़ामोशी
चाँद कि रातों में आने कि
तानाशाही याद रहेगी
याद रहेगी
वादों के बंटवारे
दिल कि गहराई में
उलझन तडफन याद रहेगी