तुम से बेहतर तो ये ख्वाब है
जो रात को आते तो हैं
धीरे से ही सही
आके दिल को धड्काते तो हैं
इन्तजार करना इन्हें पसंद नहीं
नीद के साए में खिलखिलाते तो हैं
मंजिलो की परवाह नहीं इन्हें
बस सकूँ सा दे जाते तो हैं
तेरी याद जब सताती है दिन भर
रात में आके ये सुलाते तो हैं
फ़ैल गयी है रात की चादर "कौशल"
दूर तलक यादों के साए तो हैं
- कौशल
बहुत खुबसूरत रचना
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