गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

अंदाज़

ये  आखे  है  मेरी  जो  हर  हकीकत  बोल  देती  हैं 
समंदर  में  फसी कस्ती की राहें खोल  देती  हैं 
दिखती  है  आखे   बेजुबा  से  इन  गलीचो  में  
मगर  एक  रोज़  वो  ही  दिल  बेचारा तोड़ देती हैं ||१|

ज़माने  की  छुपी  आवाज  अब  भी गूंजती  सी  है 
सवालो  की  कोई   ललकार  इतनी  आफरी सी  है 
यहाँ  कहते  मोहोबत  जिस  बाला  को  वो  भला  क्या  है 
कोई   समझाए   मुझको  ये  मरासिम  बेवफा  क्या  है ||२||

बेवक्त  की  बरसात  की  आदत  सी  हो  गयी 
इस  सहरे  नामुराद  की  फितरत  ही  ऐसी   है 
लोगो  ने  अपने  इल्म  को  आचल  में  भर   लिया 
पगला  खड़ा  सा  देखता  काटें  कहाँ  पे  हैं ||३||
(कौशल :20-oct-2011 )

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

एक बात ...


जो  याद  नहीं  वो  बीत  गया
जो  याद  है  वो  आने  वाला
जो  बिछड़ गया  वो  धोका  था
जो  साथ  है  वो  आने  वाला ||१||

जब  रात घिरी तो  तारो  ने
मुझसे  ये  पूछा बात  है क्या?
मेने  दोहराया  पानी  में
कुछ  ख्वाब है जो मिलने वाला  ||२||

धरती  से  उठ  के  एक  बादल
उचे  अम्बर  पे  जा  बैठ  गया
कोई  बोले  अब  इस  पगले  से
तू  भी  एक  दिन  रोने  वाला ||३||

मजधार  पे  नया  डौल  रही
माझी न  सही   पतवार  तो  है
जब  तक  हाथो  में  जान  ये  है
कौशल  तू  न  रुकने  वाला  ||४||
-(कौशल :18 oct-2011)

रविवार, 16 अक्तूबर 2011

सुबह


विश्वास मुझे है इस धरती पर
एक नयी “सुबह” भी आयेगे
जब मिट जायेगे ये दूरी
कट जायेंगे जात पात की बेडी
मानव रहेगा सिर्फ मानव
न कोई धर्म न कोए मजहब
हर आदमी के दिल में होगा एक सपना
प्यार करो सारी दुनिया से
हमें है मिलकर रहना
उस दिन बन जायेगे धरती
स्वर्ग से भी बढकर
नहीं दिखेगा कोई भूखा-नंगा
सब सोयेंगे स्नेह की छाव
मानवता हर और कही
मडराएगी , हर्षाएगी,
हँसते मुस्काते चेहरे
बच्चो के हो जायेंगे
उस दिन सचमुच धरती माँ अपनी
स्वर्ग रूप हो जाएगी                -(कौशल :7-sep-2003)