रविवार, 30 सितंबर 2012

वर्ण के नाम पर आरक्षण


द्रश्य १_______
अखबार में
इस्तहार निकला
फलां पोस्ट फीस
सामान्य ६००/- एसटी  १००/-
एससी ५० /- मात्र
माँ-बाप ने किचन के
अखबार के नीचे ,
गुल्लक से
जहाँ से हो सके
रुपये इकठ्ठा किये
पर फिर भी कम पड़ गए
अपने नौनिहाल के फॉर्म के लिए .......
वह बोला ..
माँ इस देश में
गरीब होना पाप है
वर्ण चाहे कुछ भी हो ...

द्रश्य २____
सरकारी स्कीम निकली
वर्ण के नाम पर दलित तपके
को उठाया जाएगा
ऊँचे ओहदे वाले
दलितो ने सब्सिडी का
पूरा फायदा उठाया
लेकिन खेतों में काम
करने वाला हरुवा
जो अपने परिवार संग
अब भी उसी दशा में रहने को
बाध्य है ,, जैसा पहले था
कसूर किसका? ......
सरकार बोलती है
हरुवा का ही होगा
जो अपनी दशा से
उठना ही नहीं चाहता !!
........

मंगलवार, 11 सितंबर 2012

वियोग



है विरह या ये प्रलाप है
या झरती आसूं माला है
शून्य समर्पित जिस वाणी को
ये वियोग रीति हाल है
कभी सुनाई दें जो बाते
कभी है आप्लव व्याकुल आखें
शब्दों के ताने-बाने में
ये वियोग कि परिभाषा है
_____~कौशल~_______