गुरुवार, 18 सितंबर 2014

परिवर्तन

परिवर्तन
सिर्फ एक शब्द नहीं
इसके होते ही
बहुत कुछ नया हो जाता है
कुछ पुराना पीछे छूट जाता है
कुछ खो जाता है
कुछ मिल जाता है
बच जाते हैं
कुछ अवशेष.. कुछ यादें
कुछ ख्वाब .. कुछ वादे
सब कुछ पाने के बाद भी
मानव बहुत कुछ खो जाता है
अंक से उदर तक
इतिहास उठा के देख लो
इंसान ने हर मोड पर
कुछ ना कुछ खोया जरुर है....

रविवार, 7 सितंबर 2014

भूख

भूख
सरेआम बिकती है
चौराहों पर
सड़क के किनारे
मंदिरों के बाहर
मस्जिदों के
छोटे गलियारों पर
पेट कि भूख
विचारों कि भूख
अरमानो कि भूख
दरअसल
रोटी का अस्तित्व
ही तब-तक है
जब तक भूख है

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

कैनवास के रंग

कुछ रंग
कैनवास पर फैले हुए
इन्तजार में हैं
अपने अस्तित्व के लिए 
अस्तित्व ...
कि उजाला बनेंगे या अँधेरा
सुबह की मखमली हँसी 
या शाम की सुरमई ख़ामोशी
सुन्दर स्वरुप गढ़ेंगे
या कोई वीभत्स रूप
कैनवास के वो रंग
अब भी निर्भर हैं
कलाकार की सोच पर ....