अब सता न
मुझे में न
फिर आऊंगा
गुजरा लम्हा हूँ बस
अब न याद
आऊंगा||१||
ख्वाहिशो को तू
इतना न आसान
कर
जो चला हूँ
तो फिर न
नजर आऊंगा ||२||
वक़्त जो बीते
पंछी सा उड़ता
सा है
उसके संग ही
कही में भी
उड़ जाऊंगा ||३||
फिर ना आसूं बहा
ना ही अब
याद कर
"कौशल"
बहता हुआ अब
कहाँ जाऊंगा? ||४||
-(कौशल: 29-nov-2011)