रविवार, 21 अगस्त 2011

वो पूछता है मुझसे


वो पूछता है मुझसे
ज़िन्दगी क्योँ इतनी अनजान सी हो गयी है ,
की हर तरफ बस अधेरा हे दिखता है
वो पूछता है मुझसे...
क्योँ वफ़ा का बदला वफ़ा होकर कुछ और ही है
ज़िन्दगी में जीने से अधिक कुछ क्योँ नहीं है
वो पूछता है मुझसे....
दिल का दर्द बताना कितना मुश्किल है
ग़मों को साथी बनाना कितना मुश्किल है .
वो पूछता है मुझसे......
प्यार करके निभाना आशां नहीं लेकिन
तोड़ना इतना आशां क्योँ है
वो पूछता है मुझसे.....
क्योँ में पागल सा रहता हू ज़िन्दगी के मोड़ पर
कोइ क्योँ नहीं पूछता की "मैं कौन हू "
वो पूछता है मुझसे.....
क्योँ दोस्ती सिर्फ मतलब के लिए होती है
यही दुनिया की रीत है तो ये दुनिया -दुनिया क्योँ है
वो पूछता है मुझसे.......
क्योँ हर तरफ़ हाहाकार है ज़माने में क्योँ हर तरफ संघार है
हर तरफ हुनकर है
वो पूछता है मुझसे...........
क्योँ हो गया है आदमी आदमी का दुश्मन
हर जगह है नफरत
क्योँ खो गए मोहोबत
वो पूछता है मुझसे.........
की तू इतना उदास क्योँ है
ज़िन्दगी एक छुपा हुआ राज़ क्योँ है
हर समय बनवास क्योँ है
वो पूछता है मुझसे......
जीने की आरजू मे क्योँ मरे जा रहे हैं लोग 
मारकर भी कम अकल जिये जा रहे हैं लोग
वो पूछता है मुझसे......
राम की इस दुनिया मे क्योँ चैन नहीं मिलता
हर तरफ़ रावण है क्योँ राम नहीं मिलता
वो पूछता है मुझसे..........

                                        - कौशल "आवारा"

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