मंगलवार, 29 नवंबर 2011

में न फिर आऊंगा ....


अब सता मुझे में फिर आऊंगा
गुजरा लम्हा हूँ बस अब याद आऊंगा||||
ख्वाहिशो को तू इतना आसान कर
जो चला हूँ तो फिर नजर आऊंगा ||||
वक़्त जो बीते पंछी सा उड़ता सा है
उसके संग ही कही में भी उड़ जाऊंगा ||||
फिर ना आसूं  बहा ना ही अब याद कर
"कौशल" बहता हुआ अब कहाँ जाऊंगा? |||| 
-(कौशल: 29-nov-2011)

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