ये हँसी मुझे गवारा ना हुई
रोना ही था किस्मत में तो क्या करते .............
हम तो थे बरसात में छाता लिए हुए
बारिश ही हवा के साथ आयी तो क्या करते…………
मुकम्मल वक़्त की ख्वाहिस करते करते
आधी गमो की ही आयी तो क्या करते ...............
जब भीगना ही था किस्मत में
धूप भी बरसात ही लाई तो क्या करते ............
(कौशल: 29-nov-2011)
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