शुक्रवार, 27 जून 2014

दिल में जो आये वो पैगाम लिखना

दिल में जो आये वो पैगाम लिखना
हमने सहर लिखा.. तुम शाम लिखना

कुछ इस तरह से दिलों के रंज भुला
मेरे हिस्से कि धूप भी अपने नाम लिखना

कलम जमाने से रख के रूबरू
महके जो हर खिजां में वो बाम लिखना

मन को फैला के दुनियाँ से बड़ा
कभी काबा तो कभी चार-धाम लिखना

कौशल इस तरह अपनाना खुद को
दिल कि बात दिल से बे-लगाम लिखना

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