रविवार, 16 अक्तूबर 2011

सुबह


विश्वास मुझे है इस धरती पर
एक नयी “सुबह” भी आयेगे
जब मिट जायेगे ये दूरी
कट जायेंगे जात पात की बेडी
मानव रहेगा सिर्फ मानव
न कोई धर्म न कोए मजहब
हर आदमी के दिल में होगा एक सपना
प्यार करो सारी दुनिया से
हमें है मिलकर रहना
उस दिन बन जायेगे धरती
स्वर्ग से भी बढकर
नहीं दिखेगा कोई भूखा-नंगा
सब सोयेंगे स्नेह की छाव
मानवता हर और कही
मडराएगी , हर्षाएगी,
हँसते मुस्काते चेहरे
बच्चो के हो जायेंगे
उस दिन सचमुच धरती माँ अपनी
स्वर्ग रूप हो जाएगी                -(कौशल :7-sep-2003)   

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