मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

एक बात ...


जो  याद  नहीं  वो  बीत  गया
जो  याद  है  वो  आने  वाला
जो  बिछड़ गया  वो  धोका  था
जो  साथ  है  वो  आने  वाला ||१||

जब  रात घिरी तो  तारो  ने
मुझसे  ये  पूछा बात  है क्या?
मेने  दोहराया  पानी  में
कुछ  ख्वाब है जो मिलने वाला  ||२||

धरती  से  उठ  के  एक  बादल
उचे  अम्बर  पे  जा  बैठ  गया
कोई  बोले  अब  इस  पगले  से
तू  भी  एक  दिन  रोने  वाला ||३||

मजधार  पे  नया  डौल  रही
माझी न  सही   पतवार  तो  है
जब  तक  हाथो  में  जान  ये  है
कौशल  तू  न  रुकने  वाला  ||४||
-(कौशल :18 oct-2011)

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