रविवार, 26 अगस्त 2012

किसी को भूल गए, याद कर रहे थे कभी


किसी को भूल गए, याद कर रहे थे कभी
ये अश्क आ के नम आख कर रहे थे कभी ||

ये अश्क आख में ही जब्ज हो चुके अब तो 
रुमाल हाथ में ले साफ़ कर रहे थे कभी ||

याद आती है वो बातें, जब ना जाने क्यूँ  
बड़े मजे से उन्हें माफ कर रहे थे कभी ||

अब सुकूं है, मगर फशाना वो, याद आता है 
गुनाहगार ही इन्साफ कर रहे थे कभी ||


अब कहीं जाके "कौशल" बात ये समझ आई
कसूर क्या था और क्या बात कर रहे थे कभी ||

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