शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

बनाने वाले ने इस जहाँ में ना जाने कैसे नियम बनाया


बनाने वाले ने इस जहाँ में ना जाने कैसे नियम बनाया
किसी की लय में अजान आई ,किसी के सुर में है राम आया ||

कोई तडफता है सादगी को किसी को भाती है रंगदारी
जहाँ में कैसे हैं रहने वाले सभी ने खुद को खुदा बनाया ||

जबां परेशाँ,निगाह है रुसवा, ये दौर है क्या कहाँ की महफ़िल
जो सहने वाले थे..सह के बोले, क्या हाल खुद का है ये बनाया ||

कभी पशेमाँ जो हो सको... तो ला के दे दो वो चार लम्हे
जहाँ समझ के हर एक इन्शान हमी ने अपना वतन बनाया ||

कभी जो "कौशल" वो याद करके जी भर के रोया, सकूँ ना आया
जहाँ थिरकती थी जिंदगी अब वहाँ पे हिज्र-ए -मकाम पाया ||
 _______________~कौशल~____________________

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