गुरुवार, 2 अगस्त 2012

गज़ल


गम पास था कि पल बड़े तन्हा थे शाम में
गुजर था वो ख्याल, इसी दौरे-आम में

जब पास कि फिकर पड़ी सब दूर थे बड़े
मौसम कि ये कशिस थी बड़ी देर शाम में

कुछ उम्र कि किताब पड़ी याद आ गया
सब कुछ था जो लिखा हुआ ढलते पयाम में

रुसवा हैं एक-दूसरे से हमसब क्यों इस तरह
वो फर्क ही बता दो जो है अल्लाह औ राम में?

जीने को तो बदी में भी जी लेते कितने लोग
हमको ही चैन है नहीं दौरे-तमाम में

चलते हुए सफर में,,,,,, बैठे जो सोचने
सारे ख्याल आये बड़े एहतराम में
__________~कौशल~__________

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