रविवार, 26 जनवरी 2014

बता किस तरह से यूँ पहचान होगी

यूँही जान होगी यूँ पहचान होगी
कभी न कभी तो मेहरबान होगी

वो किस्मत जो रहती है रूठी सी हमसे
कभी तो नाचीज-ए-मेहमान होगी

तेरे दिल में शबनम मेरे दिल में कांटे
बता किस तरह से यूँ पहचान होगी ...

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