सोमवार, 23 जनवरी 2012

मदहोशी >>>

जुल्फे देख कर ही बस आराम आ गया
शाम होते हाथो में फिर जाम आ गया||१||

मैकदे की बात बड़ी दिलनसी लगे
आठो पहर जुबान में वही नाम आ गया ||२||

पीने की बंदगी हमें मंजूर हो गयी
प्यासे से इन लबो में आज जाम आ गया ||३||

खुल के सुनायी दी वही बाते वो पेरहम
हमको भी याद एक वोही नाम आ गया ||४||

जब से है खोया होश यूहीं मयकदे में बैठ
जामो से झाकता हसीं दिलदार आ गया ||५||

पीता गया गरज से की यार साथ है मेरा
उसका ही अहतराम तो पीना सिखा गया ||६||

लड़खड़ाते कदम, तिस्नगी सी रात का आलम
जाते हुए अजब सा मज़ा आज छा गया ||७||

फिर पी लिया की जी लिया दो दिन का कारवां
दबा हुआ ख़याल कोई दिल पे छा गया ||८||
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-(कौशल)

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