नव युग की नव चेतना की
नव उज्वलता नव सवेरा
नव दिशाएं नव उजाला
नव करो की बाह खोले
तितलियों के पाख की सी
नव किरण नव ज्योति निर्झर
नव पगों की बात जोहे
कामयाबी हो खड़ी अब
नव विचारो से भरी हो
मनुज की बी दृग निरंतर
आज इस कामना में
नव वर्ष का करते ही स्वागत -(कौशल : १-१-२००४ )
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