मंगलवार, 10 जुलाई 2012

:फिर ना याद आ तू मुझे :

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क्या है वो बात ये बता तू मुझे
फिर से एक रोज आजमा तू मुझे .....

दर्द कैसा है ये खालिस क्यों है
ना दे बदली हुयी फिजा तू मुझे .....

चोट के साथ घाव लग जाता
याद कर के ना भूल जा तू मुझे .....

बारिशें हो रही यहाँ दिल में
अब ना हर रोज यूँ सता तू मुझे .....

जाम रक्खे है बचा याद के मोती डाले  
"कौशल" हर रोज ना पिला तू मुझे ....
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