शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

दहाड़


चाहे तलवार हो या सिंह की दहाड़ हो या
पर्वत अड़े हो राह पर शान से
हिम्मत कभी न हरो बस चलना ही जानो
हौसले से जीतते है न की तलवार से ___

बस ये उमंग सी है आज वोही संग सी है
एक ख़ुशी मिली थी यूँ ही सुनसान से
तोड़ लिए ख्वाब सारे आशमा के चाँद तारे
राह में बाँहें ताने,, खड़े है बड़ी शान से ___

दुश्मन कोई आये देश की शपत उठायें
जान भी दे जायेंगे गर मागे माँ, शान से
देश के युवा है जब जाग उठे आज सारे
भ्रस्टाचारी भागेंगे मुह छिपाए सरेशाम से___ :( कौशल )


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