आज इसकी भी
बात होने दो
शक्ल कैसी भी
हो बुरी तो
नहीं
तारीफे-महफ़िल में ये
भी बात होने
दो...
ख्वाब मंसूबे-ऐ-बीराने
तो नहीं
मत रोको इन्हें
,,बरसात होने दो....
जिंद ले के
चले, बच गया
जिस्म-ए-चिराग
इसी में ज़ज्ब
तारीख़े-आजाब होने
दो....
______~कौशल~__________
जिंद : जिंदगी
आजाब: अनोखा ,निराला
ज़ज्ब : बंदी, जकड़ना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें